kabir saheb ji prakat Divas 14June
✴️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें कबीर साहेब का अद्वितीय तत्वज्ञान✴️
हम सभी जानते हैं कि कबीर साहेब आज से लगभग 600 वर्ष पहले इतिहास के भक्तियुग में एक कवी की भूमिका निभाकर गये। उनकी बहुमूल्य एवं अनन्य कबीर वाणी आज भी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं।
पर वे वास्तव में कौन थे?
कबीर साहेब ने पूर्ण परमेश्वर के विषय में क्या ज्ञान दिया?
हम क्यों जन्मते मरते है?
हमे मारने में किस प्रभू का स्वार्थ है?
इस सृष्टि का व् मोक्ष प्राप्ति का वह कौनसा रहस्य है जो अब तक अनसुलझा है?
इन सभी सवालों के जवाब स्वयं कबीर परमेश्वर ने आकर दिए। हर युग में परमात्मा कबीर स्वयं ही पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक बनकर आते हैं और अपना तत्वज्ञान सुनाते हैं। इस बात के साक्षी पवित्र वेद, पवित्र कुरान, पवित्र बाइबल, पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब भी हैं।
कबीर साहेब ने अपने अनमोल तत्वज्ञान में इस नाशवान लोक के मालिक ब्रह्म/काल की जानकारी दी है, जो प्रतिदिन एक लाख मानव सूक्ष्म शरीर खाता है। इस ही वजह से हम सभी प्राणियों का जन्म मरण का चक्कर सदैव चलता रहता है, उसने सब प्राणियों को कर्म-भर्म व पाप-पुण्य रूपी जाल में उलझा रखा है, जिस वजह से सभी प्राणी इसके तीन लोक के पिंजरे में कैद है। वह नहीं चाहता कि जीव आत्मा को अपने निज घर सतलोक का पता चले। इसलिए वह अपनी त्रिगुणी माया (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से हर जीव को भ्रमित किए हुए है।
कबीर साहेब जी की वाणी है-
कबीर, राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नाहीं संसार।
जिन साहब संसार किया, सो किनहु न जनम्यां नार।।
अर्थात ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी तथा इनके अवतार सभी नाशवान हैं अर्थात जन्म मृत्यु में हैं। (प्रमाण श्रीमद्देवीभागवत तीसरा स्कंध अध्याय 5 श्लोक 8) त्रिदेवों के पिता ब्रह्म/काल भी नाशवान है। (प्रमाण गीता अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 2 श्लोक 12)
केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब- कविर्देव ही अविनाशी परमात्मा हैं, सबके पालनकर्ता हैं। (प्रमाण- यजुर्वेद अध्याय 8 श्लोक 40)
“हाड चाम लहू नहीं मेरे, कोई जाने सतनाम उपासी।
तारण तरण अभय पद दाता, मै हूँ कबीर अविनाशी।।”
कबीर जी ने यह ज्ञान भी दिया था की जीव का मोक्ष बिना गुरु बनाये नहीं हो सकता, कबीर साहेब ने अपनी अनेकों वाणियों में गुरु की महिमा बताई है।
"कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुराण।।"
सतगुरु अर्थात पूर्ण गुरु से नाम दीक्षा लेकर आजीवन मर्यादा में रहकर भक्ति करने पर शाश्वत स्थान सतलोक को पाया जा सकता है, कबीर जी ने बताया था की सतलोक वह स्थान है जहाँ वे स्वयं सत्पुरुष रूप में विराजमान है। वहाँ रहने वाले मनुष्यों को हंस कहा जाता है, उनके शरीर का प्रकाश भी 16 सूर्यों जितना है। सतलोक में किसी भी चीज़ का अभाव नहीं है। वहाँ काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तथा 3 गुण जीव को दुखी नहीं करते। वहां पर हर एक जीव का अपना महल है तथा अपना विमान है। वहाँ श्वासों से शरीर नहीं चलता। वहाँ जीव अमर है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में भी यह प्रमाण है की परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक की स्थापना करके एक गुबंद अर्थात् गुम्बज में सिंहासन पर तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है।
कबीर परमेश्वर ने ही बताया है कि एक ब्रह्म/काल का लोक इक्कीस ब्रह्मण्ड का क्षेत्र है, दूसरा परब्रह्म का लोक है जो सात संख ब्रह्मण्ड का क्षेत्र है, तीसरा परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर का ऋतधाम अर्थात् सतलोक है। जो की पूर्ण मोक्ष स्थान है।
कबीर जी का बताया तत्वज्ञान वास्तव में अद्वितीय व अनमोल है जो पूर्णतः शास्त्र प्रमाणित है, इस ही अनमोल सत्य ज्ञान व सतभक्ति मन्त्रों से जीव का मोक्ष संभव है, जो की वर्तमान में सतगुरु रामपालजी महाराज बता रहें।
#KabirPrakatDiwas
#SaintRampalJi
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
Comments
Post a Comment