कबीर परमात्मा के चमत्कार🐥🐥
1. कबीर साहेब द्वारा सिकंदर राजा का जलन का रोग ठीक करना
कबीर साहेब जब 600 वर्ष पूर्व आए तब उन्होंने अनेको करिश्में दिखाऐ, उनमें से एक है दिल्ली के राजा सिकंदर लोदी की जलन का रोग आशिर्वाद मात्र से ठीक करना। राजा जलन जैसे आसाध्य रोग से पीड़ित था और सब तरफ से ईलाज आदि करवाकर थक चुका था लेकिन कोई आराम नहीं था। तब बादशाह को किसी ने कबीर साहेब के बारे में बताया कि वे महापुरुष ही ये रोग ठीक कर सकते हैं तभी सिकंदर को भी याद आया कि यह तो वही हैं जिन्होंने मरी हुई गाय को जीवित कर दिया था। जब खुद पर आपदा आती है तो कोई जाति व अमीरी गरीबी नहीं देखता उसे सिर्फ अपनी जान बचाने की सूझती है। इसी प्रकार दिल्ली नरेश भी काशी पहुंचा औऱ वहाँ के राजा वीरदेव सिंह बघेल तो कबीर जी को पूर्ण परमात्मा के रूप में पहचान चुके थे। सिकंदर लोदी ने सब व्यथा वीरदेव सिंह बघेल को बताई तो उन्होंने भी कहा कि कबीर जी ही उन्हें रोग मुक्त कर सकते है और वे आश्रम की ओर चल पड़े। वहां राजा सिकंदर लोदी ने अहंकार वश रामानंद जी (जो कबीर साहेब को परमात्मा रूप में पहचान चुके थे लेकिन सबके सामने कबीर जी के गुरू का अभिनय कर रहे थे) का किसी बात की कहासुनी पर वध कर दिया राजा बहुत घबरा गया कि एक पाप का बोझ तो उतरा भी नहीं कि एक बडा़ पाप और इकट्ठा कर लिया। राजा को डर था कि कबीर जी उन्हें माफ करेंगे भी या नहीं लेकिन फिर भी कबीर परमात्मा ने राजा को सांत्वना देते हुए आशिर्वाद दिया जिससे पल भर में ही उनका जलन का रोग गायब हो गया तथा कबीर साहेब जी ने अपने गुरुदेव स्वामी रामानंद जी को भी वापस जीवित कर दिया। उसके पश्चात् रामानंद जी ने कभी हिंदू-मुसलमान मे भेदभाव नही किया तथा सिकंदर लोदी ने कहा की:-
कबीर दर्शन दीन्हा जबै, तपन भई सब दूर ।
2. मुर्दे को जीवित करना
कबीर साहेब के चमत्कारो में से एक मुर्दों को भी जीवित करना, इसके दो सटीक उदाहरण है जिनमें कमाल और कमाली जो दोनों ही मृत थे।
- कमाल को जीवित करना
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के पीर शेखतकी बादशाह सिकंदर से नाराज हो गए इसका कारण पूछने पर पीर शेखतकी की ने बताया की वह कबीर साहेब की परीक्षा लेना चाहता है अगर उस कबीर ने मुर्दे को जिंदा कर दिया तो वह मान लेगा कि वह भगवान है। यह बात जानकर राजा ने कबीर साहेब से प्रार्थना की और सारी समस्या बताई। इस पर कबीर साहिब ने कहा ठीक है और एक सुबह वह सब नदी के किनारे पर खड़े हुए थे वहां पर कबीर साहेब सिकंदर लोदी और उसका पीर शेखतकी भी था। तभी नदी में 10 -12 वर्ष का मृत लड़के का शव बहता हुआ दिखाई दिया। तभी कबीर साहिब ने शेखतकी से कहा कि हे! पीर पहले आप इस मुर्दे को जिंदा करने की कोशिश करें। इस बात पर वहां पर उपस्थित मंत्रियों और अन्य लोगों द्वारा शेखतकी को कहा गया कि मुर्दे को जिंदा करें। तभी शेखतकी पीर ने अपनी सारी तंत्र मंत्र की विद्या करता रहा इतने में वह मुर्दा बहता हुआ आगे चला गया। तो उस पीर ने कहा की मुर्दे थोड़ी जिंदा होते हैं, यह कबीर हम सबको भ्रमित कर, मुर्दे के बहने का इंतजार कर रहा है। फिर परमात्मा कबीर साहिब ने हाथ से इशारा किया और वह मुर्दा पानी के वेग के विपरीत दिशा मे चल कर कबीर साहिब के सामने आकर रुक गया। पानी की लहरें नीचे से बह रही थी और मृत लड़का उसके ऊपर रुका था। कबीर साहिब ने कहा कि हे! जीवात्मा जहां भी है कबीर हुकम से मुर्दे में प्रवेश कर और खडा हो। कबीर साहिब ने इतना कहा ही था की शव में कंपन हुई तथा जीवित होकर खडा हो गया। कबीर साहेब के चरणों में दंडवत प्रणाम किया। परमात्मा की जयकार लगाई और सबको बताया कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा है। वहां पर सभी उपस्थित जनों ने कहा की कबीर साहिब ने तो कमाल कर दिया। तो उस लड़के का नाम कमाल ही रख दिया गया।
4. सेऊ-सम्मन की कथा
एक समय कबीर साहेब अपने भक्त सम्मन के यहाँ अचानक दो सेवकों (कमाल व शेखफरीद) के साथ पहुँच गए। सम्मन के घर कुल तीन प्राणी थे:-सम्मन, सम्मन की पत्नी नेकी और सम्मन का पुत्र सेऊ (शिव)। भक्त सम्मन इतना गरीब था कि कई बार अन्न भी घर पर नहीं होता था, सारा परिवार भूखा सो जाता था और आज वही दिन था। भक्त सम्मन ने अपने गुरुदेव कबीर साहेब से पूछा कि साहेब खाने का विचार बताएँ, खाना कब खाओगे? कबीर साहेब ने कहा कि भाई भूख लगी है, भोजन बनाओ। सम्मन अन्दर घर में जा कर अपनी पत्नी नेकी से बोला कि अपने घर अपने गुरुदेव भगवान आये है, उनके लिए भोजन बनाओ। तभी नेकी ने कहा घर मे कुछ नही है बनाने के लिये, तब उसने सोचा पड़ोस से मांग लू , लेकिन सबने कहा कि "तुम्हारे घर तुम कहते हो भगवान आये है कबीर जी, तो अब हमारे घर क्यों आये हो"? तभी सम्मन ने कहा एक सेठ है उसकी खिड़की से आटा चोरी करके ले आए। सेउ को भेजा खिड़की से आटा लेने के लिये, तब जैसे ही सेउ अंदर गया, सेठ उठ गया और सेउ ने आटा बाहर अपने पिता सम्मन को दे दिया वो घर आया , नेकी ने पूछा कहाँ है सेउ? तो सम्मन ने कहा सेठ ने पकड़ लिया, तब नेकी ने कहा- उसकी गर्दन काट लाओ अगर उसका चेहरा किसी ने देखा तो हमारे भगवान में दोष निकालेंगे, की यह कबीर जी के शिष्य है, फिर सम्मन सेउ की गर्दन काट लाता है और फिर नेकी खाना बनाती है, तब तीन थाली में खाना अलग अलग रखती है। कबीर जी के साथ दो शिष्य भी थे, तब कबीर जी ने कहा की छः थालियों में भंडरा लगाओ, नेकी 6 थालियों मे भोजन लगा देती है। लेकिन मन में सोचती है सेउ तो मर गया है, लेकिन कबीर साहेब तो अंतर्यामी है, उन्होंने कहा "शीश तो चोरों के कटते है भगतों के नही", तभी सेउ के शीश लग जाता है और कही खरोच तक नही थी।
जो चावे सो करदे सतगुरु, भ्रम पड़ो मत कोई।


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